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ज्योतिष ज्यामिति पर आधारित विज्ञान है ग्रह, नक्षत्रों की गति, स्थिति आदि का विचार करनेवाला शास्त्र। वह विद्या जिससे अंतरिक्ष में स्थित ग्रहों, नक्षत्रों आदि की परस्पर दूरी, गति, परिमाण आदि का निश्चय किया जाता है|

भारतीय ज्योतिषी गणना के लिये पृथ्वी को ही केंद्र मानकर चलते थे और ग्रहों की स्पष्ट स्थिति या गति लेते थे । इससे ग्रहों की कक्षा आदि के संबंध में उनकी और आज की गणना में कुछ अन्तर पड़ता है । हम अगर ज्योतिष शास्त्र का अध्यन करेंगे तो हमे पता चल जाएगा की हज़ारो सालो पहले हमारे ऋषि मुनियो ने सभी ग्रहो की दूरी , उनकी चाल और तो और हर प्रकार के ग्रहण की गणना बिलकुल सटीक कर ली थी जब की आज भी हम अपनी आँखों से ग्रहो को नहीं देख सकते है और हमारे पंचांग जो ग्रहण का समय बताते है और जो नासा द्वारा ग्रहण का समय बताया जाता है उसमे बिल्कुल भी अंतर नहीं है।

ज्योतिष ज्यामिति पर आधारित विज्ञान है अगर आपका ज्यामिति के साथ तालमेल सही बैठता है तो यह एक खास तरीके से काम करता है और अगर ऐसा नहीं होता तो यह अलग तरीके से काम करता है। कोई भी इस बात से इन्कार नहीं कर सकता।

ज्योतिष उपहास का विषय बन गया हैं, क्योंकि इनको बहुत बढ़ा-चढ़ा दिया गया है। ये हास्यास्पद बन गए, क्योंकि इन्हें लेकर बेतुके दावे किए गए। एक वजह यह भी है कि इन चीजों को बहुत ज्यादा व्यवसायिक बना दिया गया है। ऐसा नहीं है कि ग्रहों की स्थिति और धरती के जीवों के साथ उनके ज्यामितीय संबंधों से कोई भी इन्कार कर सकता है। लेकिन ये चीजें उपहास का पात्र बनीं, क्योंकि इन्हें लेकर बहुत ही निरर्थक दावे किए गए। ये दावे एक तरह से सस्ते विज्ञापनों की तरह हैं जो किसी चीज को बेचने के लिए किए जाते हैं, जिसमें चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है।

ज्योतिष शास्त्र इसलिए नहीं है कि वह आपको पहले ही बता सके कि आपकी या किसी और की जिंदगी में क्या होने वाला है। यह जीवन में आने वाली चीज़ों की रूप-रेखा को एक हद तक समझने के लिए है, जिससे आप अपनी गतिविधियों को उनके अनुसार तय कर सकें, ताकि आपको अधिक से अधिक लाभ हो। अगर आप यह जान जाएं कि अलग-अलग समय पर ज्यामिति कैसी है, और उसका हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है, तो इससे आपको एक खास तरह की आजादी मिलेगी, जिससे आप अधिक स्पष्टता के साथ काम कर सकेंगे। ऐसे में निश्चित ही आपके काम दूसरे लोगों से बेहतर होंगे। क्योंकि जो लोग इसे दूसरों तक पहुंचा रहे हैं, वे निष्ठा, ईमानदारी और अनुशासन की मिसाल पेश नहीं कर पा रहे हैं। ज्योतिष का उपहास बनने का कारण भी यही है।

सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं।ज्योतिष में कुल 9 ग्रहों की गणना की जाती है। इनमें सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र, मंगल, बुध, ‍शनि मुख्य ग्रह तथा राहु-केतु छाया ग्रह माने जाते हैं। ग्रह - स्वभाव - तत्व प्रक्रति सूर्य - क्रूर - अग्नि चंद्र - सोम्य - जल मंगल - क्रूर - अग्नि बुद्ध - सोम्य - पृथ्वी गुरु - सोम्य - आकाश शुक्र - सोम्य - जल और वायु शनि - क्रूर और पापी - वायु राहु -क्रूर और पापी - वायु केतु -क्रूर और पापी - वायु

लग्न उस क्षण को कहते है जिस क्षण व्यक्ति के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर जो राशि उदित हो रही होती है उसके कोण को लग्न कहते एक दिन मे बारह लग्नो की आवृत्ति होती है ।

जन्म कुण्डली में 12 भाव होते है। इन 12 भावों में से प्रथम भाव को लग्न कहा जाता है। इसका निर्धारण बालक के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज में उदित होने वाली राशि के आधार पर किया जाता है।

आकाश में चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर अपनी कक्षा पर चलता हुआ 27.3 दिन में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है। इस प्रकार एक मासिक चक्र में आकाश में जिन मुख्य सितारों के समूहों के बीच से चन्द्रमा गुजरता है, चन्द्रमा व सितारों के समूह के उसी संयोग को नक्षत्र कहा जाता है। चन्द्रमा की 360˚ की एक परिक्रमा के पथ पर लगभग 27 विभिन्न तारा-समूह बनते हैं, नक्षत्रों के नाम - देवता - स्वामी 1-अश्विनी - अश्विनी कुमार - केतु 2-भरणी - यमराज - शुक्र 3-कृत्तिका -अग्नि देव - सूर्य 4-रोहिणी - ब्रह्मा जी - चन्द्रमा 5-मृगशिरा - चन्द्रमा - मंगल 6-आर्द्रा -शिव जी - राहु 7-पुनर्वसु - अदिति माता जी - गुरु 8-पुष्य बृहस्पति देव - शनि

जातक की कुंडली में 12 भाव होते हैं। इन भावों को घर, स्थान आदि की संज्ञा भी दी जाती है। 1st भाव - स्वयं ( तनु ) भाव 2nd भाव - धन भाव 3rd भाव - पराक्रम भाव 4th भाव - सुख भाव 5th भाव - बुद्धि भाव 6th भाव - ऋण भाव 7th भाव - पत्नी भाव 8th भाव - आयु भाव 9th भाव - धर्म भाव 10th भाव - कर्म भाव 11th भाव - आय भाव 12th भाव - व्यय भाव नोट - स्पस्ट रूप से और अधिक जनकारी के लिए कुंडली के 2nd page भावत भावम् सिद्धांत को देखे

वैदिक ज्योतिष में कुल 12 राशियाँ होती हैं। राशि - राशि स्वामी 1-मेष राशि - मंगल 2-वृष राशि - शुक्र 3- मिथुन राशि - बुद्ध 4-कर्क राशि - चंद्र 5-सिंह राशि - सूर्य 6-कन्या राशि - बुद्ध 7-तुला राशि - शुक्र 8-वॄश्चिक राशि - मंगल 9-धनु राशि - गुरु 10-मकर राशि - शनि 11-कुम्भ राशि - शनि 12-मीन राशि -गुरु

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